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वो कोई सच था या झूटा कोई फ़साना था - तासीर सिद्दीक़ी कविता - Darsaal

वो कोई सच था या झूटा कोई फ़साना था

वो कोई सच था या झूटा कोई फ़साना था

हमें मिला क्यूँ नहीं जिस को हम ने चाहा था

मैं क्या कहूँ कि वो क़ातिल था या मसीहा था

मगर अदाओं से लगता बड़ा ही प्यारा था

हसीन आस को इन क़ुर्बतों ने तोड़ दिया

सराब निकला जिसे दरिया हम ने समझा था

महक रहा है अभी तक हिनाई हाथों सा

हथेली पे जो मिरा नाम तुम ने लिक्खा था

मिले थे दोस्त कई राह में हसीन मगर

किसी को साथ मिरे दूर तक न चलना था

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In Hindi By Famous Poet Taseer Siddiqui. is written by Taseer Siddiqui. Complete Poem in Hindi by Taseer Siddiqui. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.