दिल को क़रार मिलता है अक्सर चुभन के बा'द
दिल को क़रार मिलता है अक्सर चुभन के बा'द
नींदें सुहानी आती हैं दिन की थकन के बा'द
बेकार सी जवानी है जिस पर सितम न हो
शीरीं हुआ शजर पे समर भी तपन के बा'द
आँगन था जब तलक ये न दिल को लुभा सका
यादें वतन की आई हैं तर्क-ए-वतन के बा'द
दामन भिगो के बैठें हैं ख़ुशियों की राह में
अक्सर बहार आती है रुत में घुटन के बा'द
गुज़रोगे जब भी सहरा से पाओगे तुम चमन
जैसे निगार-ए-दश्त है अक्सर चमन के बा'द
(579) Peoples Rate This