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ज़ेहन में हो कोई मंज़िल तो नज़र में ले जाऊँ - तसव्वुर ज़ैदी कविता - Darsaal

ज़ेहन में हो कोई मंज़िल तो नज़र में ले जाऊँ

ज़ेहन में हो कोई मंज़िल तो नज़र में ले जाऊँ

राह-रौ के न अगर गर्द सफ़र में ले जाऊँ

दिल से बच जाएँ अगर दाग़-ए-जिगर में ले जाऊँ

क्यूँ चराग़ों को सर-ए-शाम सहर में ले जाऊँ

कोई आहट न कोई अक्स न मंज़र न हवा

किस को महसूस करूँ किस को ख़बर में ले जाऊँ

बाम-ओ-दर पर नज़र आते हैं थकन के आसार

अपना ये बोझ किसी दूसरे घर में ले जाऊँ

और कुछ ख़ून हो ख़ुश-रंग तो दिल में रोकूँ

और कुछ ख़ाक हो पामाल तो सर में ले जाऊँ

जलते मंज़र से जुदा होना पड़ेगा कुछ को

तिश्नगी तुझ को अगर दीदा-ए-तर में ले जाऊँ

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In Hindi By Famous Poet Tasawwur Zaidi. is written by Tasawwur Zaidi. Complete Poem in Hindi by Tasawwur Zaidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.