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वो हम से क्यूँ अलग था क्यूँ दुखी था - तसव्वुर ज़ैदी कविता - Darsaal

वो हम से क्यूँ अलग था क्यूँ दुखी था

वो हम से क्यूँ अलग था क्यूँ दुखी था

हमारे ज़ेहन में जो आदमी था

पता देतीं मिरा क्या शाहराहें

मकाँ मेरा गली-अंदर-गली था

हज़ारों मैं छुपे थे मुझ में फिर भी

नज़र में आइने के एक ही था

हरे पत्तों से शबनम की जुदाई

यही आग़ाज़-ए-सुब्ह-ए-तिश्नगी था

ग़ुरूर-ए-सुब्ह क्या मुझ को दिखाता

लहू की शाम में मैं दीदनी था

अँधेरे झाड़ कर दामन से अपने

उठा तो रौशनी ही रौशनी था

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In Hindi By Famous Poet Tasawwur Zaidi. is written by Tasawwur Zaidi. Complete Poem in Hindi by Tasawwur Zaidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.