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भटकें हैं आप के लिए तन्हा कहाँ कहाँ - तरुणा मिश्रा कविता - Darsaal

भटकें हैं आप के लिए तन्हा कहाँ कहाँ

भटकें हैं आप के लिए तन्हा कहाँ कहाँ

पूछो न हम ने आप को ढूँडा कहाँ कहाँ

दिल तोड़ने के बअ'द फिर आ कर तो देखते

छाले कहाँ हैं और है पीड़ा कहाँ कहाँ

आँखों में कल्पना में कभी दिल के सहन में

हरजाई सा लगा है वो आया कहाँ कहाँ

छाया तो था सुलगती फ़ज़ाओं में वो मगर

मालूम ही न हो सका बरसा कहाँ कहाँ

डरते रही हमेशा बताने से दिल के राज़

मेरे दयार-ए-दिल में वो उतरा कहाँ कहाँ

'तरुणा' वो दोस्त था मिरा प्यारा भी था मगर

काटा उसी ने ही मिरा पत्ता कहाँ कहाँ

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In Hindi By Famous Poet Taruna Mishra. is written by Taruna Mishra. Complete Poem in Hindi by Taruna Mishra. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.