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अपने दम से गुज़र औक़ात नहीं करता मैं - तरकश प्रदीप कविता - Darsaal

अपने दम से गुज़र औक़ात नहीं करता मैं

अपने दम से गुज़र औक़ात नहीं करता मैं

कैसे कह दूँ के ग़लत बात नहीं करता मैं

शाम होती है मेरे घर में सहर होती है

रात भी होती है पर रात नहीं करता मैं

आज फिर ख़ुद से ख़फ़ा हूँ तो यही करता हूँ

आज फिर ख़ुद से कोई बात नहीं करता मैं

फ़क़त इक बात ही में बात बढ़ी है इतनी

सोचता हूँ के मुलाक़ात नहीं करता मैं

क्या बुरा है जो मुझे लोग बुरा ही जानें

काम करते हैं जो हज़रात नहीं करता मैं

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In Hindi By Famous Poet Tarkash Pradeep. is written by Tarkash Pradeep. Complete Poem in Hindi by Tarkash Pradeep. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.