जीना अब दुश्वार है बाबा
जीना अब दुश्वार है बाबा
फ़िक्रों की भर-मार है बाबा
खोटे सिक्के ख़ूब चलेंगे
अब अपनी सरकार है बाबा
दीन को बेचो दुनिया बेचो
अब ये कारोबार है बाबा
आज की ये तहज़ीब तो जैसे
गिरती हुई दीवार है बाबा
मुफ़्लिस की आवाज़ दबी है
पैसों की झंकार है बाबा
किस को सलीक़ा है पीने का
कौन यहाँ मय-ख़्वार है बाबा
अपना ही 'दरवेश' तो शायद
देखो सू-ए-दार है बाबा
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