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जीना क्या है पिछ्ला क़र्ज़ उतार रहा हूँ - तारिक़ नईम कविता - Darsaal

जीना क्या है पिछ्ला क़र्ज़ उतार रहा हूँ

जीना क्या है पिछ्ला क़र्ज़ उतार रहा हूँ

मैं तो उस की बाक़ी उम्र गुज़ार रहा हूँ

आ जाएगा चाक पे चलना और सँभलना

अभी तो गिल से अपना-आप उतार रहा हूँ

कोई कब दीवार बना है मेरे सफ़र में

ख़ुद ही अपने रस्ते की दीवार रहा हूँ

खुल जा मुझ पर हर्फ़-ए-तिलिस्म कि तेरी तरह से

एक ज़माना मैं भी पुर-असरार रहा हूँ

तुझ को मनाना इतना गर आसान नहीं है

मैं भी दिल की पहली बाज़ी हार रहा हूँ

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In Hindi By Famous Poet Tariq Naeem. is written by Tariq Naeem. Complete Poem in Hindi by Tariq Naeem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.