Ghazals of Tariq Matin

Ghazals of Tariq Matin
नामतारिक़ मतीन
अंग्रेज़ी नामTariq Matin

यहाँ के लोग हैं बस अपने ही ख़याल में गुम

निगहबान-ए-चमन अब धूप और पानी से क्या होगा

मैं हबीब हूँ किसी और का मिरी जान-ए-जाँ कोई और है

कोई है बाम पर देखा तो जाए

घर में बैठूँ तो शनासाई बुरा मानती है

ग़म की दीवार को मैं ज़ेर-ओ-ज़बर कर न सका

अपने दुखों का हम ने तमाशा नहीं किया

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