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लब-ए-ख़मोश मिरा बात से ज़ियादा है - तारिक़ हाश्मी कविता - Darsaal

लब-ए-ख़मोश मिरा बात से ज़ियादा है

लब-ए-ख़मोश मिरा बात से ज़ियादा है

तिरा फ़िराक़ मुलाक़ात से ज़ियादा है

ये इक शिकस्त जो हम को हुई मोहब्बत में

ज़माने भर की फ़ुतूहात से ज़ियादा है

बहुत ही ग़ौर से सुनता हूँ दिल की धड़कन को

ये इक सदा सभी अस्वात से ज़ियादा है

उमीद भी तिरे आने की आज कम है इधर

ये दिल का दर्द भी कल रात से ज़ियादा है

मैं उस से इश्क़ तो कर बैठा हूँ मगर 'तारिक़'

ये सिलसिला मिरी औक़ात से ज़ियादा है

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In Hindi By Famous Poet Tariq Hashmi. is written by Tariq Hashmi. Complete Poem in Hindi by Tariq Hashmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.