रास्ते में आ रहे हैं जो नदी नाले न देख
रास्ते में आ रहे हैं जो नदी नाले न देख
मंज़िलों की चाह है तो पाँव के छाले न देख
राह-ए-हक़ पर गामज़न रह और हक़ की बात कर
क्या सितम ढाएँगे तुझ पर ये सितम वाले न देख
हिम्मत-ए-मर्दां अगर क़ाएम है तो फिर फ़िक्र क्या
ज़ुल्म के सर को कुचल दे हक़ के मतवाले न देख
मेरे भाई आदमी की आदमियत को परख
मुफ़लिस-ओ-नादार या फिर माल-ओ-ज़र वाले न देख
हुस्न-ए-बातिन हुस्न-ए-ज़ाहिर से बड़ी शय है न भूल
रंग हैं दोनों ख़ुदा के गोरे और काले न देख
ये है तारीख़ी इमारत इस की अज़्मत को सलाम
गर्द आलूदा इमारत में लगे जाले न देख
खुल जा सिम-सिम खुल जा सिम-सिम कब तलक चिल्लाएगा
तू अली-बाबा नहीं है तोड़ दे ताले न देख
(588) Peoples Rate This