बातिल-ओ-ना-हक़ से उम्मीद-ए-करम करते रहे

बातिल-ओ-ना-हक़ से उम्मीद-ए-करम करते रहे

जो न करना था हमें वो काम हम करते रहे

ज़ब्त कर सकते थे आख़िर ज़ब्त हम करते रहे

काम था जिन का सितम करना सितम करते रहे

ज़िंदगी-भर मुस्कुराए बे-सबब हम दोस्तो

ज़िंदगी-भर ज़ीस्त की तल्ख़ी को कम करते रहे

ऐ क़ज़ा तू देर से आई मगर ख़ुश-आमदीद

उम्र-भर हम याद तुझ को दम-ब-दम करते रहे

उम्र-भर हम ने किया है दूसरों का एहतिराम

या'नी ख़ुद को उम्र-भर हम मोहतरम करते रहे

उम्र पढ़ने लिखने की ग़फ़लत में गुज़री और फिर

ज़िंदगी-भर हाथ अरमान-ए-क़लम करते रहे

क्या नमाज़ें हैं हमारी क्या हमारी बंदगी

खोट निय्यत में रहा और सर को ख़म करते रहे

(588) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Tanweer Gauhar. is written by Tanweer Gauhar. Complete Poem in Hindi by Tanweer Gauhar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.