सब की निगाह में तिरे गोदाम आ गए
अब अपने हाथों माल की तक़्सीम कर न कर
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अब तक मिरे आ'साब पे मेहनत है मुसल्लत
उठा लेता है अपनी एड़ियाँ जब साथ चलता है
कभी अपने वसाएल से न बढ़ कर ख़्वाहिशें पालो
आज भी 'सिपरा' उस की ख़ुश्बू मिल मालिक ले जाता है
तेरी तो आन बढ़ गई मुझ को नवाज़ कर
मिल मालिक के कुत्ते भी चर्बीले हैं
कितना बोद है मेरे फ़न और पेशे के माबैन
आज इतना जलाओ कि पिघल जाए मिरा जिस्म
शायद यूँही सिमट सकें घर की ज़रूरतें
जो कर रहा है दूसरों के ज़ेहन का इलाज
ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले
मैं अपने बचपने में छू न पाया जिन खिलौनों को