मिल मालिक के कुत्ते भी चर्बीले हैं
लेकिन मज़दूरों के चेहरे पीले हैं
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आज इतना जलाओ कि पिघल जाए मिरा जिस्म
शायद यूँही सिमट सकें घर की ज़रूरतें
कभी अपने वसाएल से न बढ़ कर ख़्वाहिशें पालो
छत की कड़ियाँ जाँच ले दीवार-ओ-दर को देख ले
मैं अपने बचपने में छू न पाया जिन खिलौनों को
अब तक मिरे आ'साब पे मेहनत है मुसल्लत
आज भी 'सिपरा' उस की ख़ुश्बू मिल मालिक ले जाता है
कितना बोद है मेरे फ़न और पेशे के माबैन
बेटे को सज़ा दे के अजब हाल हुआ है
दिहात के वजूद को क़स्बा निगल गया
जो कर रहा है दूसरों के ज़ेहन का इलाज