मैं अपने बचपने में छू न पाया जिन खिलौनों को
उन्ही के वास्ते अब मेरा बेटा भी मचलता है
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सब की निगाह में तिरे गोदाम आ गए
आज भी 'सिपरा' उस की ख़ुश्बू मिल मालिक ले जाता है
कितना बोद है मेरे फ़न और पेशे के माबैन
ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले
छत की कड़ियाँ जाँच ले दीवार-ओ-दर को देख ले
अब तक मिरे आ'साब पे मेहनत है मुसल्लत
मिल मालिक के कुत्ते भी चर्बीले हैं
जो कर रहा है दूसरों के ज़ेहन का इलाज
उठा लेता है अपनी एड़ियाँ जब साथ चलता है
आज इतना जलाओ कि पिघल जाए मिरा जिस्म