कितना बोद है मेरे फ़न और पेशे के माबैन
बाहर दानिश-वर हूँ लेकिन मिल में ऑयल-मैन
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उठा लेता है अपनी एड़ियाँ जब साथ चलता है
हम हिज़्ब-ए-इख़्तिलाफ़ में भी मोहतरम हुए
अब तक मिरे आ'साब पे मेहनत है मुसल्लत
छत की कड़ियाँ जाँच ले दीवार-ओ-दर को देख ले
जो कर रहा है दूसरों के ज़ेहन का इलाज
आज इतना जलाओ कि पिघल जाए मिरा जिस्म
बेटे को सज़ा दे के अजब हाल हुआ है
ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले
'तनवीर' अब तू हल्क़ से भोंपू का काम ले
तेरी तो आन बढ़ गई मुझ को नवाज़ कर
मैं अपने बचपने में छू न पाया जिन खिलौनों को