ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले
दिन भर की मशक़्क़त से बदन टूट रहा है
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बेटे को सज़ा दे के अजब हाल हुआ है
आज भी 'सिपरा' उस की ख़ुश्बू मिल मालिक ले जाता है
मैं अपने बचपने में छू न पाया जिन खिलौनों को
आज इतना जलाओ कि पिघल जाए मिरा जिस्म
ग़मों की धूप में बरगद की छाँव जैसी है
सब की निगाह में तिरे गोदाम आ गए
छत की कड़ियाँ जाँच ले दीवार-ओ-दर को देख ले
मिल मालिक के कुत्ते भी चर्बीले हैं
'तनवीर' अब तू हल्क़ से भोंपू का काम ले
कभी अपने वसाएल से न बढ़ कर ख़्वाहिशें पालो