अब तक मिरे आ'साब पे मेहनत है मुसल्लत
अब तक मिरे कानों में मशीनों की सदा है
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दिहात के वजूद को क़स्बा निगल गया
हम हिज़्ब-ए-इख़्तिलाफ़ में भी मोहतरम हुए
मिल मालिक के कुत्ते भी चर्बीले हैं
बेटे को सज़ा दे के अजब हाल हुआ है
'तनवीर' अब तू हल्क़ से भोंपू का काम ले
कभी अपने वसाएल से न बढ़ कर ख़्वाहिशें पालो
तेरी तो आन बढ़ गई मुझ को नवाज़ कर
मैं अपने बचपने में छू न पाया जिन खिलौनों को
औरत को समझता था जो मर्दों का खिलौना
कितना बोद है मेरे फ़न और पेशे के माबैन
उठा लेता है अपनी एड़ियाँ जब साथ चलता है
शायद यूँही सिमट सकें घर की ज़रूरतें