रिदा-ए-संग ओढ़ कर न सो गया हो काँच भी
हरीम-ए-ज़ख़्म लाज़मी है ख़ैर-ओ-शर की जाँच भी
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ज़िंदगी के गीतों के बोल सुनना
सुर्ख़ फंदे सुनहरी मालाएँ
जान मजबूर हूँ
दोराहा
तिरी चाल धुन तिरी साँस सुर मिरे दिल को आ के सँभाल भी
कई लोग मोरचा-बंद ख़ौफ़ की रेत में हैं करम करम