कई लोग मोरचा-बंद ख़ौफ़ की रेत में हैं करम करम
तिरे हाथ में ये जो संग है किसी सम्त उस को उछाल भी
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Gulzar
Allama Iqbal
Habib Jalib
Javed Akhtar
Rahat Indori
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
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रिदा-ए-संग ओढ़ कर न सो गया हो काँच भी
सुर्ख़ फंदे सुनहरी मालाएँ
दोराहा
ज़िंदगी के गीतों के बोल सुनना
जान मजबूर हूँ
तिरी चाल धुन तिरी साँस सुर मिरे दिल को आ के सँभाल भी