सुर्ख़ फंदे सुनहरी मालाएँ

तेरे पहलू में बर्फ़ का टुकड़ा

जाने पिघलेगा कौन सी रुत में

अब तो पैराहन-ए-हिमाला भी

मिस्ल-ए-दामन-नुमा-ए-क़ैस हुआ

बाल खुलने लगे हैं शीशम के

बुध की सूरत जुमूद की रुत में

बे-नियाज़-ए-लिबास-ए-तख़मीना

थे ज्ञानी जो वो सफ़ेदे भी

हैं सर-ए-राह महव-ए-बोस-ओ-कनार

अपनी ख़ुश-क़ामती पे इतराती

पहनने वाली हैं खजूरें भी

सुर्ख़ फंदे सुनहरी मालाएँ

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In Hindi By Famous Poet Tanveer Monis. is written by Tanveer Monis. Complete Poem in Hindi by Tanveer Monis. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.