टूटी है ये कश्ती तो मिरे साथ सफ़र को
वो जान-ए-मसाफ़त मिरा तय्यार हुआ है
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दूर तक ये रास्ते ख़ामोश हैं
अदम कथा
आग की कहानियाँ
शहरों के सारे जंगल गुंजान हो गए हैं
कभी बहुत है कभी ध्यान तेरा कुछ कम है
हमें वो क्यूँ याद आ रहे हैं
मैं रख देती हूँ तुम्हारा नाम फ़ोटोग्राफ़र
अन-देखी लहरें
मैं अपनी नज़्में वापस लेने को तय्यार हूँ
कोई आवाज़ नहीं
सफ़र और क़ैद में अब की दफ़अ' क्या हुआ