दुखों के रूप बहुत और सुखों के ख़्वाब बहुत
तिरा करम है बहुत पर मिरे अज़ाब बहुत
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
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Habib Jalib
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सफ़र और क़ैद में अब की दफ़अ' क्या हुआ
रात के पड़ाव पर
आग की कहानियाँ
मैं रख देती हूँ तुम्हारा नाम फ़ोटोग्राफ़र
सुनाओ मुझे भी एक लतीफ़ा
इज़्हार-ए-जुनूँ बर-सर-ए-बाज़ार हुआ है
ग़म-ए-ज़माना जब न हो ग़म-ए-वजूद ढूँड लूँ
अन-देखी लहरें
पहले मौसम के बा'द
सूरज सारा शहर डराता रहता है
हम दोनों में से एक
आख़िरी पत्तियों में