ये जंगलों की रात है
इस रात से आगे कोई बस्ती नहीं
ये ओस जो शाख़ों में है
पी लें उसे
इस ओस से आगे कोई नदी नहीं
Rahat Indori
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इज़्हार-ए-जुनूँ बर-सर-ए-बाज़ार हुआ है
कभी वो मिस्ल-ए-गुल मुझे मिसाल-ए-ख़ार चाहिए
जब सितारा थक गया
अन-देखी लहरें
रात के पड़ाव पर
पहले मौसम के बा'द
आशाएँ
तरीक़ कोई न आया मुझे ज़माने का
मैं अपनी नज़्में वापस लेने को तय्यार हूँ
सुनाओ मुझे भी एक लतीफ़ा
सूरज सारा शहर डराता रहता है
आग की कहानियाँ