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तरीक़ कोई न आया मुझे ज़माने का - तनवीर अंजुम कविता - Darsaal

तरीक़ कोई न आया मुझे ज़माने का

तरीक़ कोई न आया मुझे ज़माने का

कि एक सौदा रहा जिंस-ए-दिल लुटाने का

फ़रेब-ए-ख़्वाब मिरे रास्ते को रोक नहीं

कि वक़्त-ए-शाम है ये ग़म-कदे को जाने का

तिरे वजूद से पहचान मुझ को अपनी थी

तिरा यक़ीन था मुझ को यक़ीं ज़माने का

ख़राब-ए-इश्क़ हूँ ख़ुद मौत हूँ मैं अपने लिए

सिखा रही हूँ हुनर ख़ुद को दिल जलाने का

हर एक शाख़-ए-सितम से मैं फूल तोड़ती हूँ

हुआ है शौक़ चमन-ज़ार-ए-ग़म बनाने का

नशा अजीब है इस जंग-ए-बे-समर का मुझे

ख़ुमार ख़ूब है ख़ून-ए-ख़िरद बहाने का

शब-ए-विसाल में इक नुक़्ता-ए-तवक्कुफ़ हूँ

और इक जुनूँ है उसे मंज़िलों को पाने का

दिल-ए-तबाह को बे-दाम बेच देती हूँ

कि कारोबार है ये जिंस-ए-ग़म कमाने का

मुझे अज़ीज़ है बे-एहतियाती-ए-सादा

न शौक़ है न हुनर उस को आज़माने का

क़फ़स बदन का मुझे कुछ मिरा सुबूत नहीं

ये ताइर-ए-दिल-ओ-जाँ लौट कर न आने का

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In Hindi By Famous Poet Tanveer Anjum. is written by Tanveer Anjum. Complete Poem in Hindi by Tanveer Anjum. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.