सारी दुनिया के सितम और मिरा दिल तन्हा

सारी दुनिया के सितम और मिरा दिल तन्हा

मैं ने झेली है ज़माने में ये मुश्किल तन्हा

सब ने हंगामा-ए-महफ़िल के मज़े लूटे हैं

रह गई शम्अ' बे-चारी सर-ए-महफ़िल तन्हा

कब तलक ठीक न होगा ग़म-ए-दौराँ का मिज़ाज

हम भी बैठे हैं ज़माने के मुक़ाबिल तन्हा

अब किसी रहबर-ए-मंज़िल की तमन्ना भी नहीं

मैं अकेला हूँ मुसाफ़िर मिरी मंज़िल तन्हा

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In Hindi By Famous Poet Tamanna Jamali. is written by Tamanna Jamali. Complete Poem in Hindi by Tamanna Jamali. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.