मेरा आईना मिरी शक्ल दिखाता है मुझे
मेरा आईना मिरी शक्ल दिखाता है मुझे
ये वो अपना है जो बेगाना बताता है मुझे
मेरे एहसास-ए-दुई को ये हवा देता है
मेरी हस्ती का ये एहसास कराता है मुझे
कर्ब एहसास कराता है ख़ुदी के दर्शन
ज़ो'म-ए-हस्ती के झरोके में सजाता है मुझे
क़द्र-ओ-क़ीमत को बढ़ाने का बढ़ावा दे कर
बहर-ए-नीलाम कहाँ दिल लिए जाता है मुझे
सादगी मेरी उसे देती है इज़्न-ए-गुफ़्तार
मुझ को आती है हँसी जब वो बनाता है मुझे
भूल जाता हूँ सभी जौर-ओ-जफ़ा के क़िस्से
जब कोई गीत मोहब्बत के सुनाता है मुझे
कौन सुनता है मिरे दुख की कहानी 'तालिब'
जिस से कहता हूँ वो अपनी ही सुनाता है मुझे
(766) Peoples Rate This