वस्ल में भी नहीं मजाल-ए-सुख़न
इस रसाई पे ना-रसा हैं हम
Wasi Shah
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
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कम हुई बाँग-ए-जरस भी या-रब
रौनक़ें आबादियाँ क्या क्या चमन की याद हैं
कौन पाबंद-ए-जुनूँ फ़स्ल-ए-बहाराँ में न था
कोई इस फ़स्ल में दीवाना हुआ है शायद
न पहुँचा साथ यारान-ए-सफ़र की ना-तवानी से