कोई इस फ़स्ल में दीवाना हुआ है शायद
कि हवा हाथ में ज़ंजीर लिए फिरती है
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Gulzar
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(590) Peoples Rate This
कौन पाबंद-ए-जुनूँ फ़स्ल-ए-बहाराँ में न था
कम हुई बाँग-ए-जरस भी या-रब
रौनक़ें आबादियाँ क्या क्या चमन की याद हैं
न पहुँचा साथ यारान-ए-सफ़र की ना-तवानी से
वस्ल में भी नहीं मजाल-ए-सुख़न