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आहिस्ता-रवी शहर को काहिल न बना दे - तालीफ़ हैदर कविता - Darsaal

आहिस्ता-रवी शहर को काहिल न बना दे

आहिस्ता-रवी शहर को काहिल न बना दे

ख़ामोशी-ए-ग़म ख़्वाब का माइल न बना दे

इतना भी मोहब्बत को न सोचे मिरी हस्ती

ये मोजज़ा-ए-फ़िक्र कहीं दिल न बना दे

ईसा नहीं फिर भी मुझे अंदेशा है ख़ुद से

हस्ती मिरी कुछ शोबदा-ए-गिल न बना दे

इस तरह तुझे इश्क़ किया है कि ये दुनिया

हम को ही कहीं इश्क़ का हासिल न बना दे

मैं उस से समुंदर ही कोई माँगता लेकिन

डर था वो कहीं फिर कोई साहिल न बना दे

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In Hindi By Famous Poet Taleef Haidar. is written by Taleef Haidar. Complete Poem in Hindi by Taleef Haidar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.