जुनूँ ने ज़हर का पियाला पिया आहिस्ता आहिस्ता

जुनूँ ने ज़हर का पियाला पिया आहिस्ता आहिस्ता

ये शो'ला राख में ढलने लगा आहिस्ता आहिस्ता

बहुत नाज़ुक हैं एहसासात हम अरमाँ-परस्तों के

न हम को ठेस लग जाए सबा आहिस्ता आहिस्ता

बजा साज़-ए-वफ़ा लेकिन ज़रा धीमे बजा मुतरिब

बपा है हश्र सा दिल में सदा आहिस्ता आहिस्ता

ख़ुशी का एक एक लम्हा ख़िराज-ए-ज़ीस्त ले लेगा

ये दिल के टूटने का सिलसिला आहिस्ता आहिस्ता

ये कैसा मोड़ है बेहिस ज़माना-साज़ या क़ातिल

सुलगती है तमन्ना की चिता आहिस्ता आहिस्ता

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In Hindi By Famous Poet Talat Isharat. is written by Talat Isharat. Complete Poem in Hindi by Talat Isharat. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.