सावन-रुत और उड़ती पुर्वा तेरे नाम
सावन-रुत और उड़ती पुर्वा तेरे नाम
धूप-नगर से है ये तोहफ़ा तेरे नाम
सुर्ख़ गुलाब के सारे मौसम तेरे लिए
ख़्वाबों का हर एक दरीचा तेरे नाम
चाँद की आँखें फूल की ख़ुश्बू बहती रात
क़ुर्बत का हर एक वसीला तेरे नाम
बर्फ़ में फैला शाम धुँदलका तेरे लिए
हर इक सुब्ह का पहला उजाला तेरे नाम
हँसती हुई सी तेरी आँखें मेरे लिए
बहती झील में फूल कँवल का तेरे नाम
तेरी याद का बहता दरिया मेरे लिए
चाहत का ये तन्हा जज़ीरा तेरे नाम
दुनिया-भर में जितने मंज़र अच्छे हैं
उन का हुस्न और शोर हवा का तेरे नाम
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