सूरज के उस जानिब बसने वाले लोग
अक्सर हम को पास बुलाया करते हैं
Wasi Shah
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Gulzar
Anwar Masood
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
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Sad Poetry
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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बहाऊँगा न मैं आँसू न मुस्कराउँगा
ख़ुशी ज़रूर थी 'तैमूर' दिन निकलने की
सफ़र में होती है पहचान कौन कैसा है
मैं ने बख़्श दी तिरी क्यूँ ख़ता तुझे इल्म है
मिरा बातिन मुझे हर पल नई दुनिया दिखाता है
एक मंज़िल है एक जादा है
वफ़ा का ज़िक्र छिड़ा था कि रात बीत गई
ये लोग करते हैं मंसूब जो बयाँ तुझ से
वो जो मुमकिन न हो मुमकिन ये बना देता है
वो कम-सुख़न न था पर बात सोच कर करता
ज़िंदगी जंग है आसाब की और ये भी सुनो