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बहार आने की उम्मीद के ख़ुमार में था - तैमूर हसन कविता - Darsaal

बहार आने की उम्मीद के ख़ुमार में था

बहार आने की उम्मीद के ख़ुमार में था

ख़िज़ाँ के दौर में भी मौसम-ए-बहार में था

जिसे सुनाने गया था मैं ज़िंदगी की नवीद

वो शख़्स आख़िरी हिचकी के इंतिज़ार में था

सिपाह-ए-अक़्ल-ओ-ख़िरद मुझ पे हमला-आवर थी

मगर मैं इश्क़ के मज़बूत-तर हिसार में था

मिरा नसीब चमकता भी किस तरह आख़िर

मिरा सितारा किसी दूसरे मदार में था

उठा के हाथ दुआ माँगना ही बाक़ी है

वगर्ना कर चुका सब कुछ जो इख़्तियार में था

उसे तो इस लिए छोड़ा था वो निहत्ता है

ख़बर न थी कि वो मौक़े के इंतिज़ार में था

वो कह रहा था मुझे नाज़ अपने इज्ज़ पे है

अजब तरह का ग़ुरूर उस के इंकिसार में था

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In Hindi By Famous Poet Taimur Hasan. is written by Taimur Hasan. Complete Poem in Hindi by Taimur Hasan. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.