बहुत से सैल-ए-हवादिस की ज़द पे बह गए हैं

बहुत से सैल-ए-हवादिस की ज़द पे बह गए हैं

ये चंद एक दरख़्तान-ए-सब्ज़ रह गए हैं

मकीन दश्त के फ़ील-फ़ौर दश्त छोड़ गए

कि शेर-ज़ाद ख़मोशी से वार सह गए हैं

ज़मीन बाँझ है नाज़ाद हो गए खलियान

अगरचे सुब्ह ओ मसा बार बार गह गए हैं

परिंदगाँ! तुम्हें कुछ भी ख़बर न हो पाई

दरख़्त ढे गए अम्बार-ए-आब बह गए हैं

बहार अब के जो गुज़री तो फिर न आएगी

बिछड़ने वाले बिछड़ते समय ये कह गए हैं

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In Hindi By Famous Poet Tahseen Firaqi. is written by Tahseen Firaqi. Complete Poem in Hindi by Tahseen Firaqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.