ये आँख नम थी ज़बाँ पर मगर सवाल न था
हम अपनी ज़ात में गुम थे कोई ख़याल न था
Habib Jalib
Jaun Eliya
Gulzar
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Wasi Shah
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(653) Peoples Rate This
ख़्वाब डसते रहे बिखरते रहे
मिल के लगा है आज ज़माने ठहर गए
सजा लिया है हथेली पे हम ने उस का नाम
काग़ज़ पे तेरा नक़्श उतारा नहीं गया