सजा लिया है हथेली पे हम ने उस का नाम
इस लिए तो बिछड़ जाने का मलाल न था
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काग़ज़ पे तेरा नक़्श उतारा नहीं गया
ये आँख नम थी ज़बाँ पर मगर सवाल न था
मिल के लगा है आज ज़माने ठहर गए
ख़्वाब डसते रहे बिखरते रहे