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तो तय हुआ ना कि जब भी लिखना रुतों के सारे अज़ाब लिखना - ताहिर तोनस्वी कविता - Darsaal

तो तय हुआ ना कि जब भी लिखना रुतों के सारे अज़ाब लिखना

तो तय हुआ ना कि जब भी लिखना रुतों के सारे अज़ाब लिखना

उजाड़ मौसम मैं तपते सहरा को आब लिखना हबाब लिखना

क़रार-ए-जाँ है तुम्हारा व'अदा कि घर पहुँच कर मैं भेज दूँगी

मैं मुंतज़िर हों तुम्हारे ख़त का शिकायतों का जवाब लिखना

मुझे यक़ीं है नसीब मेरा न साथ देगा कि तजरबा है

सुकून को इज़्तिराब कहना हक़ीक़तों को सराब लिखना

ये तेरी ग़ज़लें बयाँ नहीं हैं विसाल-ए-शब की नवाज़िशों का

जो हो सके मसनवी में सारा वो अक्स-ए-कैफ़-ए-शबाब लिखना

अज़िय्यतों के सफ़र में मैं ने भरम रखा फिर भी हौसलों का

मुनाफ़िक़त के जहाँ में मुझ को सदाक़तों का निसाब लिखना

ये दौर अहल-ए-क़लम पे भारी कि मस्लहत की सबील जारी

गुनाह को भी सवाब कहना बबूल को भी गुलाब लिखना

हवा के माथे प दर्ज तहरीर मौसमों की तमाज़तों से

जो मिट गई है तो क्या हुआ है नए सिरे से ये बाब लिखना

गुलाब-रुत में ये ज़र्दियों के नुक़ूश चेहरे पे देख लेना

हमारे बारे मैं कुछ न कहना प इब्रतों की किताब लिखना

हरी भरी खेतियाँ कहाँ हैं मिरे मुक़द्दर के ज़ाइचे हैं

शहीद-ए-इश्क़-ए-वफ़ा का 'ताहिर' हथेलियों पर हिसाब लिखना

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In Hindi By Famous Poet Tahir Tonsvi. is written by Tahir Tonsvi. Complete Poem in Hindi by Tahir Tonsvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.