Ghazals of Tahir Azeem
नाम | ताहिर अज़ीम |
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अंग्रेज़ी नाम | Tahir Azeem |
ये जो शीशा है दिल-नुमा मुझ में
मुझ को भी हक़ है ज़िंदगानी का
मौसम-ए-गुल बहार के दिन थे
मैं उस की मोहब्बत से इक दिन भी मुकर जाता
ख़्वाहिशों की बादशाही कुछ नहीं
हर दर्द की दवा भी ज़रूरी नहीं कि हो
इक वहशत सी दर आई है आँखों में
इक अनोखी रस्म को ज़िंदा रखा है
बढ़ रहा हूँ ख़याल से आगे