Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a982295612f932d93d342b5b41b85d35, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
शहर को चोट पे रखती है गजर में कोई चीज़ - तफ़ज़ील अहमद कविता - Darsaal

शहर को चोट पे रखती है गजर में कोई चीज़

शहर को चोट पे रखती है गजर में कोई चीज़

बिल्लियाँ ढूँढती रहती हैं खंडर में कोई चीज़

चाक हैं ज़ख़्म के पानी में हवा में नासूर

मुट्ठियाँ तोल के निकली है सफ़र में कोई चीज़

बारहा आँखें घनी करता हूँ उस पे फिर भी

छूट रहती है निगह से गुल-ए-तर में कोई चीज़

कभी बैठक से रसोई कभी दालान से छत

बावली फिरती है तुझ बिन मिरे घर में कोई चीज़

ज़िंदगी आग पे लेटी हुई परछाईं है क्या

बस धुआँ देती है हर वक़्त जिगर में कोई चीज़

शहर-ए-सानी में शजर-कारी न की दानिस्ता

फिर निकल आए कहीं बर्ग-ओ-समर में कोई चीज़

हश्र तक जीती रहेंगी मिरी ग़ज़लें तफ़ज़ील

ऑक्सीजन सी लबालब है हुनर में कोई चीज़

(561) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Tafzeel Ahmad. is written by Tafzeel Ahmad. Complete Poem in Hindi by Tafzeel Ahmad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.