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ये शहर आफ़तों से तो ख़ाली कोई न था - ताबिश कमाल कविता - Darsaal

ये शहर आफ़तों से तो ख़ाली कोई न था

ये शहर आफ़तों से तो ख़ाली कोई न था

जब हम सख़ी हुए तो सवाली कोई न था

लिक्खा है दास्ताँ में कि गुलशन उजड़ते वक़्त

गुलचीं बे-शुमार थे माली कोई न था

उस दश्त में मिरा ही हयूला था हर तरफ़

मैं ने ही शम-ए-इश्क़ जला ली कोई न था

जलसे उजड़ गए थे किसी ख़ुद-फ़रेब के

ख़ुद ही बजा रहा था वो ताली कोई न था

'ताबिश' हर एक दिल में शरारे थे क़हर के

हो पास जिस के सोज़-ए-बिलाली कोई न था

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In Hindi By Famous Poet Tabish Kamal. is written by Tabish Kamal. Complete Poem in Hindi by Tabish Kamal. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.