पाबंदी-ए-हुदूद से बेगाना चाहिए
पाबंदी-ए-हुदूद से बेगाना चाहिए
दामाँ ब-क़द्र-ए-वहशत-ए-दीवाना चाहिए
होता है फ़ाश गिर्या-ए-पैहम से राज़-ए-इश्क़
ऐ शम्अ' राज़-दारी-ए-परवाना चाहिए
ज़ौक़-ए-उबूदियत है तअ'य्युन से बे-नियाज़
हम-सूरत-ए-जबीं दर-ए-जानाना चाहिए
बज़्म-ए-नियाज़-ए-इश्क़ में हूँ आश्ना-ए-होश
बे-पर्दा आज फिर रुख़-ए-जानाना चाहिए
ऐ ज़ौक़-ए-इज्ज़ जल्वा-गह-ए-यार है क़रीब
पा-ए-तलब में लग़्ज़िश-ए-मस्ताना चाहिए
'ताबिश' ग़म-ए-हयात ही वज्ह-ए-नशात है
हर एक दाग़ सूरत-ए-पैमाना चाहिए
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