मौज-ए-ख़ूँ सर से गुज़रती है गुज़र जाने दो

मौज-ए-ख़ूँ सर से गुज़रती है गुज़र जाने दो

कहीं ये गर्दिश-ए-अय्याम ठहर जाने दो

उठने वाली है कोई दम में सितारों की बिसात

और कुछ देर का नश्शा है उतर जाने दो

राह में रोक के अहवाल न पूछो हम से

अभी बाक़ी है बहुत अपना सफ़र जाने दो

अभी हंगाम नहीं राह में दम लेने का

अभी ये क़ाफ़िला-ए-अहल-ए-नज़र जाने दो

लब पे आ आ के रही जाती हैं कितनी बातें

हमें कहना तो बहुत कुछ है मगर जाने दो

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In Hindi By Famous Poet Tabassum Rizvi. is written by Tabassum Rizvi. Complete Poem in Hindi by Tabassum Rizvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.