इस अहद की बे-हिस साअ'तों के नाम
यहाँ अब एक तारा
ज़र्द तारा भी नहीं बाक़ी
यहाँ अब आसमाँ के
चीथडों की फड़फड़ाहट भी नहीं बाक़ी
यहाँ पर सारे सूरज
तारे सूरज
तैरते अफ़्लाक से गिर कर
किसी पाताल में गुम हैं
यहाँ अब सारे सय्यारों की गर्दिश
रुक गई है
यहाँ अब रौशनी है
और न आवाज़ों की लर्ज़िश है
न जिस्मों में ही हरकत है
यहाँ पर अब फ़क़त
इक ख़ामुशी की फड़फड़ाहट है
(573) Peoples Rate This