तुम्हीं बताओ पुकारा है बार बार किसे
तुम्हीं बताओ पुकारा है बार बार किसे
अज़ीज़ कहते हैं ग़म-हा-ए-रोज़गार किसे
सुकूत-ए-राज़ कहो या सुकूत-ए-मजबूरी
मगर लबों की जसारत थी नागवार किसे
ख़िज़ाँ में किस ने बहारों की दिलकशी भर दी
दुआएँ देता है दामन का तार तार किसे
कहाँ वो दाग़ कि दिल का गुमाँ करे कोई
समझिए अहद-ए-तमन्ना की यादगार किसे
नसीम-ए-सुब्ह का ग़ुंचों को इंतिज़ार सही
हवा-ए-दश्त हूँ मैं मेरा इंतिज़ार किसे
शगुफ़्तगी का इशारा है फूल बरसेंगे
न-जाने आज नवाज़ेगी शाख़-ए-दार किसे
जराहतों के ख़ज़ाने लुटा दिए 'ताबाँ'
किया है राह के काँटों ने इतना प्यार किसे
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