Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_2bae1d8de94b1cd78f751af546b69f7f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हम एक उम्र जले शम-ए-रहगुज़र की तरह - ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ कविता - Darsaal

हम एक उम्र जले शम-ए-रहगुज़र की तरह

हम एक उम्र जले शम-ए-रहगुज़र की तरह

उजाला ग़ैरों से क्या माँगते क़मर की तरह

कहाँ के जेब-ओ-गरेबाँ जिगर भी चाक हुए

बहार आई क़यामत के नामा-बर की तरह

करम कहो कि सितम दिल-दही का हर अंदाज़

उतर उतर सा गया दिल में नेश्तर की तरह

न हादसों की कमी है न शोरिशों की कमी

चमन में बर्क़ भी पीती है बाल-ओ-पर की तरह

न-जाने क्यूँ यहाँ वीरानियाँ बरसती हैं

सभी के घर हैं ब-ज़ाहिर हमारे घर की तरह

ख़ुदा करे कि सदा कारोबार-ए-शौक़ चले

जो बे-नियाज़ हो मंज़िल से इस सफ़र की तरह

बस और क्या कहें रूदाद-ए-ज़िंदगी 'ताबाँ'

चमन में हम भी हैं इक शाख़-ए-बे-समर की तरह

(598) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Taban Ghulam Rabbani. is written by Taban Ghulam Rabbani. Complete Poem in Hindi by Taban Ghulam Rabbani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.