ख़्वाब और नींदों का ख़त्म हो गया रिश्ता
मुद्दतों से आँखों में रत-जगों का मौसम है
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Gulzar
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दर्द सीने में कहीं चीख़ रहा हो जैसे
कोई बतलाए माजरा क्या है
सुब्ह को शाम लिख दिया मैं ने
मंज़िल मिले न कोई भी रस्ता दिखाई दे
कुछ ऐसा भी तो हो जाए कभी ऐसा करे कोई
काश ऐसी भी कोई साअ'त हो
वो जो मिलता था कभी मुझ से बहारों की तरह
मुझ में आ कर ठहर गया कोई
ख़ुद से लिपट के रो लें बहुत मुस्कुरा लिए
निगाह ओ दिल में वही कर्बला का मंज़र था
बहुत ग़ुरूर था बिफरे हुए समुंदर को