सुब्ह को शाम लिख दिया मैं ने
अपना अंजाम लिख दिया मैं ने
मुझ से पूछा गया वफ़ा क्या है
बस तिरा नाम लिख दिया मैं ने
आती जाती हुई हवाओं पर
दिल का पैग़ाम लिख दिया मैं ने
गीत ग़ज़लें रुबाइयाँ नज़्में
सब तिरे नाम लिख दिया मैं ने
'शम्अ' इन आँसुओं को आहों को
इश्क़ इनआम लिख दिया मैं ने