इन फ़लक जा इमारतों पे न जा
इन की बुनियाद में मिलावट है
यूँ तो हर चीज़ है यहाँ ख़ालिस
लेकिन औलाद में मिलावट है
Anwar Masood
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Javed Akhtar
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बहन की इल्तिजा माँ की मोहब्बत साथ चलती है
हम ज़माने से फ़क़त हुस्न-ए-गुमाँ रखते हैं
इक रेल के सफ़र की तस्वीर खींचता हूँ
अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ इस क़दर मुझे
तहलील
जब्र ओ जहालत
असास
जवाज़
मुझ से मत कर यार कुछ गुफ़्तार मैं रोज़े से हूँ
तजर्बात-ए-तल्ख़ ने हर-चंद समझाया मुझे
दर्द में लज़्ज़त बहुत अश्कों में रानाई बहुत
हुस्न को ग़ायत-ए-नज़र जाना