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अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ ईं क़दर मुझे - सय्यद ज़मीर जाफ़री कविता - Darsaal

अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ ईं क़दर मुझे

अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ ईं क़दर मुझे

इक शख़्स था कि मिल न सका उम्र भर मुझे

शोलों की गुफ़्तुगू में सबा के ख़िराम में

आवाज़ दे रहा है कोई हम-सफ़र मुझे

शायद उन्हीं का इज्ज़ मिरे काम आ गया

जिन दोस्तों ने छोड़ दिया वक़्त पर मुझे

शब को तो एक क़ाफ़िला-ए-गुल था साथ साथ

या-रब! ये किस मक़ाम पर आई सहर मुझे

हँसते रहे फ़लक पे सितारे ज़मीं पे फूल

अच्छा हुआ कि उम्र मिली मुख़्तसर मुझे

मुद्दत के ब'अद उस ने सर-ए-अंजुमन 'ज़मीर'!

देखा निगाह-ए-आम से और ख़ास कर मुझे

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In Hindi By Famous Poet Syed Zameer Jafri. is written by Syed Zameer Jafri. Complete Poem in Hindi by Syed Zameer Jafri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.